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जब एक खोजी पत्रकार ने ये खबर सुनी तो वो सोंच में पड़ गया। उसने नेताजी का अगला पिछला इतिहास खंगालना शुरू किया। नेताजी ने कब किस चुनावों में कितना कमाया, सब समझ बुझ के वो नेता जी का इंटरव्यू लेने पहुंचा।
पत्रकार : “ क्या आपको पता है अगर आपके पास दो कार है और किसी के पास एक भी नहीं तो आपको अपनी एक कार देनी पड़ेगी? ”
नेताजी : “ हाँ , और मैं अपनी इच्छा से देने के लिए तैयार भी हूँ ।”
पत्रकार: “ पर क्यों , यहाँ भी कम्युनिस्म लागू होता है। क्या आप देने के लिए कोई तर्क है की यहाँ बात नहीं बैठती?”
नेताजी: “ हाँ है क्योंकि मेरे पास कार और बंगले तो नहीं हैं, लेकिन दो बकरियां ज़रूर हैं।”
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इस रचना का किसी भी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है। नाम, स्थान, भाव-भंगिमा अथवा चारित्रिक समानताये एक संयोग भर है। राजनैतिक और हास्य व्ययंग का उद्देश्य मनोरंजन और विनोद है। किसी भी राजनैतिक दल, समूह, जाति, व्यक्ति अथवा वर्ग का उपहास करना नहीं। यदि इस लेख से किसी की धार्मिक, सामाजिक, राजनैतिक या व्यक्तिगत भावनाओ को ठेस पहुँचती है तो लेखक को इस गैर-इरादतन नुकसान का अफ़सोस है।
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